बात शुरू होती है सन्न 2010 से
मैं एक प्राइवेट IT कंपनी में नौकरी कर रहा था। लगभग एक महीने बाद भी मुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मुझे हमेशा से डिटेक्टिव बनना था। निर्णय लेना आसान नहीं था कि मै क्या करू ? एक तरफ AC रूम में बैठकर नौकरी करना और एक अच्छी सैलरी के साथ और दूसरी तरफ एक अनजान दुनिया जो मुझे बार बार पुकार रही थी। मेरे सपनों की दुनिया।
आखिर वो दिन आ गया और मैंने अपनी IT की नौकरी छोड़ दी और निकल पड़ा Private Detective बनने। मैंने Google पे सर्च किया और पहुँच गया भीका जी कामा पैलेस दिल्ली , वहाँ एक कंपनी ने मुझे रख लिया लेकिन कोई सैलरी नहीं सिर्फ सीखने का मौका , फिर भी मैं तैयार हो गया डिटेक्टिव जो बनना था।
एक महीना हो गया लेकिन बॉस ने कुछ नहीं सिखाया बस यहां जाओ वहाँ जाओ और पेमेंट कलेक्ट करो। मैंने उनसे हिम्मत करके कहा की सर मुझे काम सिखाइए मुझे जासूस बनाइए लेकिन साहब भड़क गए और काम से निकाल दिए गए।
घर वापसी हो गई। मन टूट सा गया कि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर कर जासूस बनने का फैसला कहीं मेरी जिंदगी की कोई बहुत बड़ी गलती तो नहीं थी। मन टुटा जरूर था लेकिन हारा नहीं। मैंने और जगह बात किया लेकिन कहीं बात नहीं बनी। Google से मैंने फिर कई कंपनियों के लिस्ट निकाल कर फोन करना शुरू किया लेकिन लगभग हर जगह मुझे ऐसा लगा कि जासूसी के नाम पर लोगों को बेवकूफ ही बनाया जा रहा है । इधर घर परिवार के तानों और बातों की दबाव से मन विचलित हो जात्ता था।
एक दिन मुझे मेरी मंजिल मिल गई जब एक महाशय ने मुझे 31 जुलाई 2010 को बुलाया और मैं वहाँ चयनित हो गया। कंपनी का नाम था Action Detective Network . अगले दिन 1 अगस्त 2010 को मुझे अपने एक सहकर्मी के साथ फिल्ड में उतार दिया गया और तब मैंने शुरू किया अपनी जासूसी की दुनिया की शुरुआत। दिन भर का रिपोर्ट देकर धूल पसीना से सना हुआ मैं घर पहुंचा। घर वालो को लग रहा था की पूरा दिन मैंने कही दिहाड़ी मजदूरी किया है। मै तो बहुत खुश था। अच्छी नींद आई और फिर अगले दिन से मेरा सफर शुरू हो गया। मैंने अपनी नौकरी की शुरुआत Rs 4000 से किया था। वैसे एक जासूस की सैलरी काम सीख जाने के बाद लगभग Rs20,000 से शुरू होता है।


मैंने कभी फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। All over India काम किया , दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा और आज 12 साल बाद 2022 , मैं उस कंपनी का एक डायरेक्टर हूँ। एक अच्छी जिंदगी देने के लिए और मुझे जासूस बनाने क लिए चौधरी सर का एहसान मंद हूँ। अब मैं लोगो की मदद करता हूँ एक जासूस की तरह जितना भी किया जा सकता है। मैं कोशिस करता हूँ कि कोई भी व्यक्ति जो मुझतक पहुंचा है वो कभी मुझसे निराश होकर न जाए। मैं जान लगा देता हूँ किसी घटनाक्रम को सबूत में बदलने के लिए।
कहानी बहुत लम्बी है लेकिन जितना छोटे में लिख सकता था सिर्फ उतना ही प्रयाश किया हूँ।
अभी तो मैंने सिर्फ आपको एक छोटा सा परिचय दिया है अपनी खुद की जिंदगी का , आगे मैं आपको अपने वास्तविक कहानियों से परिचय कराऊंगा जो मैं अपने रोजमर्रा के जिंदगी में देखता हूँ।
धन्यवाद ……..